मीडिया हमारे देश समाज और परिवार का आईना हो गया है वह समाज का जीवंत प्रतिबिम्ब बन गया है । एक जमाना था जब साहित्य को समाज का दर्पण और दीपक भी कहा जाता था , ( आज भी कहा जाता है ) लेकिन आज मीडिया के संदर्भ में यह उक्ति ज्यादा सटीक जान पड़ती है । आज विश्व में मीडिया की जो भूमिका है उस पर दृष्टिपात किया जाए तो एक बात हमारे सामने स्पष्ट रूप से उभर कर आती है कि मीडिया का स्वतंत्र रूप से तथा तटस्थ भाव से कार्य करना अत्यन्त अनिवार्य है । सुसमाज की संकल्पना में मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । भारत में तो मीडिया चतुर्थ स्तम्भ का कार्य करता है । यह भारत की जनतन्त्रात्मक व्यवस्था का चौथा स्तम्भ है । आज मीडिया द्वारा प्रत्येक महत्वपूर्ण सूचना को पलभर में जनता तक पहुँचाया जाता है । सूचना तकनीक की क्रांति से मीडिया जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रत्येक पहलू को गहरे तक प्रभावित करता है । चाहे संचार के परम्परागत स्वरूप को बदलने का काम हो या व्यवसाय के नजरिए से पत्रकारिता के दायित्वों और स्वरूप में बदलाव की बात हो या शिक्षा और शोध का विषय हो या खेल और व्यापार जगत से जुड़ी खबरें हों , राजनीति या सामाजिक व्यवस्था की बात हो , कृषिजगत हो या रोजगार की संभावनाओं का विषय हो कहने का अभिप्राय यह है कि आम आदमी से लेकर देश की शासन व्यवस्था और विश्व फलक पर देश के अस्तित्व की पहचान तक बनाने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है । मीडिया के इस विस्तृत क्षेत्रफलक के कारण ही यह मानव समाज में संचार का आधार बन गया है ।
व्यावहारिक व्याकरण अनुवाद मीडिया की भाषा विशेष लेखन विविध लेखन परिशिष्ट अंकों के आधार पर शिक्षा का मूल्यांकन आज का युवक अपनी पुरानी पीढ़ी से अलग है । तीज जनसंख्या विस्फोट : आवास की समस्या नारी के खिलाफ बढ़ती हिंसा का जिम्मेदार भारतीय समाज और मीडिया नहीं । हमें केवल जीविकोपार्जन के लिए नहीं जीना चाहिए दिल्ली में सीलिंग कितनी न्याय संगत युवा वर्ग के विकास में मीडिया की भूमिका शांति और सुरक्षा के आईने में परिवर्तित होते भारत - पाक सम्बन्ध नेताजी के सपनों का भारत
ISBN 9788189996147
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