इस पुस्तक में नक्सलवादी आंदोलन के आरंभ से लेकर वर्तमान तक का लेखा-जोखा प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। यह पुस्तक नक्सलवाद के आदर्श एवं विकास का दस्तावेज है तो कालांतर में इसके विखंडन और दिगभ्रमण का विवेचन भी है। इसमें नक्सलवाद के कारणों एवं जमीनी हकीकत को जानने की कोशिश की गई है तथा उनका आलोचनात्मक मूल्यांकन किया गया है। भारत सरकार द्वारा नक्सलवाद से निपटने के लिए चलाए गए अभियान के साथ-साथ सरकार की नीतियों का भी विवेचन किया गया है। जिस प्रकार मीडिया ने नक्सलवाद को दिखाया है तो बुद्धिजीवियों का यह कर्तव्य बन जाता है कि नक्सलवाद में मीडिया की भूमिका की समीक्षा की जाए। वर्तमान में मीडिया जो कि पूंजीपतियों का दरबान बना बैठा है तो यह समीक्षा और भी जरूरी हो जाती है। नक्सलवाद को समाप्त करने में पुलिस बल की भूमिका मादक पदार्थों का व्यापार मानवाध्किारों के दृष्टिकोण से नक्सलवाद का अध्ययन एवं आतंकवाद तथा नक्सलवाद में समानता आदि विषयों को इसमें शामिल किया गया है।
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