CHAYYA TATHA ANYE KHANIYA

Author: Jaishankar Prasad

श्रीयुत् बाबू जयशंकर 'प्रसाद' जी हिन्दी के स्वनामधन्य सुकवि और यशोधन सुलेखक है। साहित्य-संसार में उनका शुभ नाम स्वतः देदीप्यमान हो रहा है। उनकी सर्वतोमुखी प्रतिभा और सुधामुखी लेखनी का प्रसाद पाकर हिन्दी विशेष गौरवान्वित हुई है। कविता, नाटक, कहानी, इतिहास आदि अनेक क्षेत्रो में 'प्रसाद' जी की कीर्ति-लता लहलहा रही है। कविता बौर कहानी के क्षेत्र मे तो उन्होने अभिनय युगान्तर उपस्थित कर दिया है। नाटकों की रचना में भी वह अप्रतिम हैं। उनकी प्रायः सभी रचनाएँ बड़े उच्च कोटि की और अतुलनीय है तृतीय संस्करण में इन कहानियों का संस्कार भी लेखक ने किया; अतः ये अपने पूर्व रूप से कुछ भिन्न हो गयी । आज भी प्रसाद साहित्य के अध्ययन करने के लिये इन कहानियों को पढना आवश्यक है। प्रसाद जी की शैली और भावना के विकास की सीढ़ी इन कहानियो से चढ़ी जा सकती है। इस महत्वपूर्ण सग्रह से हिन्दी के पाठक लाभ उठायेंगे। 

विषय सूची: तानसेन, चंदा, ग्राम, रसिया बालम, सिकंदर की शपथ, चित्तौड़ - उद्धार, अशोक, गुलाम, जहानारा, मदन - मृणालिनी

ISBN 9789386365101

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